Tuesday, July 5, 2011

सब चाहेंगे , लड़कियां , लड़के नहीं ..!!!!

सब कहते हैं ,
जब तूं पैदा हूई थी .
कितने रोये थे , पापा 
पांचवी लडकी जो पैदा हो गई थी .
सब के चेहरे मुरझा गए थे ,  

किसी ने मिठाई मांगने की कोशिश तक भी ना की थी .
सब मूंह लटगाये खड़े थे , मानो हो गया हो घौर अन्याय ,
कितना कातिल है , यह संसार 
लड़कों को सब चाहतें हैं , पर लड़कियों को कोई नहीं 
पर मैं दिखला दूंगी 
दुनिया को चमत्कार 
और परम्परा को हटा दूंगी ,
की 
सब चाहेंगे , लड़कियां , लड़के नहीं ..!!!!
- डॉ. मुकेश राघव 

2 comments:

Dr. Ramesh Ojha said...

What a awesome theme Dr. Mukesh Raghav . We must be against female foeticide and child cruality.
Thanks

श्रीमती सुशीला ओझा said...

डॉ. मुकेश राघव जी , आपकी रचनाओं में जो मार्मिकता और संवेदनशीलता छिपी है , उसके लिए आप साधुवाद के हक़दार हैं , बस लिखते रहिये . नमस्कार