Sunday, August 7, 2011

रिश्तों के फ़र्ज़ को ठुकराना ..क्या कितना आसान है ??

खून के 
रिश्तों के जंजाल में , 
दिल को लगा कर
क्या भूल पाना आसान है ??
जिन्दा रहकर , रिश्तों के फ़र्ज़ को ठुकराना ,
क्या इतना आसान है ??
जिन्दा रहकर 
क्या चमड़ी उत्तारना आसान है ??
जिन्दा रहकर ,
क्या मौत को बुलाना आसान है ??
क्या ?? 
कुछ भी नहीं 
पर 
दिल को जलाना तो आसान है  .
- डॉ. मुकेश राघव 

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