मनुष्य और जानवर में मेरे मता अनुसार एक अंतर जो जग जाहिर है , वह है मात्र भावनाओं और उनकी अभिवयक्ति का !! पात्र भी हमारे इर्द गिर्द के होतें हैं ., मात्र शब्दों को , भाषा के मणियों को माला में पिरो कर एक , हरदय स्पर्शी , संवेदनशील और मार्मिक करतय है , जिसे एक कविता रूपी सरजन कर , पाठकों तक पहुँचाना मात्र है .. © डॉ. मुकेश राघव
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