Dr. Joga Singh Ji , upvas ka kaam hi kya , thora swasthya bhi naram tha , kary slow hua. ab to bus intzar hae , ek kharidadar ka. In after noon you were busy in sahityik gosty on fb. Regards
डॉ. राघव जी , आपका कविता संग्रह देखा . समय के चक्कर में ही उलझ गई . समय कितना बलवान समझती मैं ?? समय तो खुद तलाश में है , एक खरीददार की जिस से दोनों चल सकें . क्या व्याख्या की है समय और मानव की , लगता है दोनों एक दुसरे के पूरक हैं . कोन किस को चला रहा है , एक पहेली मात्र है. रचना के लिए आप महोदय साधुवाद के पात्र हैं . धन्यवाद
डॉ. मुकेश राघव जी , सबसे पहले आप को इस ब्लॉग के लिए धन्यवाद . आपके प्रोफाइल और इस ब्लॉग की सामग्री में काफी अंतर है . आप की जितनी तारीफ करूँ , कम होगी . कविताएँ बहुत अच्छी हैं . समय की घडी भी इंतज़ार में है ....? सादर
डॉ. मुकेश जी , आपका ब्लॉग सुंदर तो है ही , परन्तु पठनीय सब कुछ बहत ज्यादा मार्मिक है , आप हास्य रस की कविताएँ लिखें तो काफी आनंद की अनुभूति होगी , क्यों की ये संसार दादों का मारा है , कुछ पल हंसी के मिल जाएँ तो क्या बुरा है. धन्यवाद
6 comments:
Dr. Joga Singh Ji , upvas ka kaam hi kya , thora swasthya bhi naram tha , kary slow hua. ab to bus intzar hae , ek kharidadar ka.
In after noon you were busy in sahityik gosty on fb.
Regards
डॉ. राघव जी , आपका कविता संग्रह देखा . समय के चक्कर में ही उलझ गई . समय कितना बलवान समझती मैं ?? समय तो खुद तलाश में है , एक खरीददार की जिस से दोनों चल सकें . क्या व्याख्या की है समय और मानव की , लगता है दोनों एक दुसरे के पूरक हैं . कोन किस को चला रहा है , एक पहेली मात्र है.
रचना के लिए आप महोदय साधुवाद के पात्र हैं .
धन्यवाद
"डॉ. साहेब घड़ियों की चित्र मय प्रस्तुति सहज लगी मेरी रचना याद आगई
"घडी सदाई टिक-टिक कैवे,ना खुद टिके ना दुजां ने टिकण देवे"साधुवाद सर "
डॉ. मुकेश राघव जी , सबसे पहले आप को इस ब्लॉग के लिए धन्यवाद . आपके प्रोफाइल और इस ब्लॉग की सामग्री में काफी अंतर है . आप की जितनी तारीफ करूँ , कम होगी . कविताएँ बहुत अच्छी हैं . समय की घडी भी इंतज़ार में है ....?
सादर
डॉ. मुकेश जी , आपका ब्लॉग सुंदर तो है ही , परन्तु पठनीय सब कुछ बहत ज्यादा मार्मिक है , आप हास्य रस की कविताएँ लिखें तो काफी आनंद की अनुभूति होगी , क्यों की ये संसार दादों का मारा है , कुछ पल हंसी के मिल जाएँ तो क्या बुरा है.
धन्यवाद
डॉ. राघव साहिब , आप कविताओं का संकलन कितना विशाल है ? कितना मार्मिकता से ओतप्रोत रचनाएँ लिखना प्रसंशनीय है
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