संस्कारों की सोंधी गंध
बिखेरते तुम मन भावन हो
गंगा की धारा को छूते
पवन झकोरे पावन हो ,
पर पीढ़ा के संवेदन की
स्याही में रचते हो गाथा
गैरों से उतना ही बंधन
जितना अपनों से है नाता
केवल मानव मूल्य भरें हैं
शब्द कोष की रचना में
श्रधा और विस्वाश बसें हैं
मधुर तुम्हारी रचना में
ऐसे मानव विरल हैं , होते
शिशु सम हृदय सरल हैं , होते
यह पहचान किसी पूर्व जनम की
हुई मूर्त पुनः इसी जनम में
माटी का तन माटी में मिल जायेगा
माटी का तन माटी में मिल जायेगा
मरू भूमि में चिन्हों सा मिट जायेगा
शेष रहेंगी , मन को भिगोती , बरखा के
पहले बादल की जीवंत स्म्रतियाँ ................
6 comments:
Mukesh Ji , aap ek kavi kab se ban gaye., Doctory or kavita , Kya samay 24 ghante se jyada diya ha , bhagwan nein. This poem is full of relationship and attachment too. Khali samay mein kuchh vishraam kar liya karen, swasthya thik rahega. Thanks.
कमल सपरा जी ..... , कविता काफी भावनात्मक तो है ही , साथ साथ एक कटु सत्य है ,जीवन का . लेखक एक नेक इंसान की खोज कर चूका है , और अब जाकर लेखक जीवन के अनुभवी विचार , हम लोगों से मुखातिब कर रहा है .
धन्यवाद .
DR.MUKESH RAGHAV , VERY NICE POETARY , QUITE EMOTIONAL AND SENTIMENTAL . KEEP IT UP,WAITING FOR A NEW POEM , GOD BLESS YOU !!
Thanks Laxmi Narayan Sharma Ji, Smt. Surbhi Ji and Smt. Swati Ji. @ Laxmi Narayan Ji Bhagwan nein vastav main hum sab ko 24 ghante se Jyada samay diya ha, Yeh Baat mere bhi abhi samajh aai. Whole credit of this >24 hours goes to Dr. Jogi Singh Ji
प्रिय मुकेश जी , आप की लेखनी को मैं बहुत समय से जानता हूँ . बहुत ताकतवर है , पर इतनी ताकतवर निकलेगी , यह मैंने कभी ना सोचा था . किसी कार्य वश आज नेट पर बैठा था , की आपका यह ब्लॉग सामने आ गया , दोनों कविताएँ अच्छी लगी . भाषा शैली , हरदय को छूलेने या यों कहूं .... जैसे अश्कों की धारा बहने लगे . नेट पर भी इस तरह के प्रकाशन होतें हैं , आज ज्ञात हुआ . अति शीघ्र सम्पर्क करूँगा !! पटकथा और सुन्दरता देखते ही बन गई है . खुश रहो !!
Dr. Raghav, I viewed your blogs , As per your interest you are fishes in all the blogs. Poetary is touching ,sentimental and worth deserving a prize .... that I am giving you just now as aashirwad .
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